My father

” पिता तू गलत क्यूँ नही होता है”

ऐ बचपन! तुझे क्यूँ नहीं समझ में आता है,
जो तेरा अपना है,वह क्यों पराया लगता है।
जो जागता है तेरे लिए, तु उसे ही बेगाना समझता है, उसकी हर बात तुझे,क्यूँ बेबात लगती है,
कही वह सब बातें, क्यों मतलबी सी लगती है।
जागता है दिल मेरा हर वक्त, पर दिमाग सोता है,
ऐ पिता तू गलत क्यूं नहीं होता है।
तेरा कौन है, तुझे क्यों न समझ आता है,
तू सिर्फ चेहरा देखता, भाव क्यों न दिखता है।
चला था लोगों को पढ़ने, पिता तुझे ही न पढ़ पाता,
जो तू बोलता, सिर्फ सुनाई देता समझ क्यूँ न आता। आंख आंसू भी ना निकाल पाते, दिल अंदर-अंदर ही रोता है,
ऐ पिता तू गलत क्यों नहीं होता है।

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