नशा (Addiction)

#say_no_2_drugs
#drugs #addiction

ये विवाद है खुद से और पनपने वाले शारीर के अंतर्मन से जो ये मज़बूर करता है एक नशे में रहने वाले व्याक्ति को की तुम मेरे आगोश में आओ ही।जब नशा बोलता है तो आदमी चुप होता है,और नशा क्या बोलता है?और एक आदमी का अंतर्मन क्या बोलता है जो इसको छोड़ना चाहता है ,उसी के विषय में ये मेरा संवाद है, और इसके पीछे मेरा अलग ही नजरिया है जो की मेरी खुद की सोच है।अगर आपको अच्छा लगे।।तो आप अपना अँगूठा मेरी भलाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है।धन्यवाद।🙂

▪️तु मुझे छोड़ता क्यों नहीं,
तेरी पकड़ बहुत मजबूत है ,
तू फिसलता क्यों नहीं।
▪️मैंने पकड़ा ही कब था तुझे,
तू तो वो खुद है जो मुझे छोड़ता नही ,
फिसलूंगा मैं नहीं, गिरेगा तू खुद,
क्योंकि तू ही तो है जो मुझे छोड़ता नहीं।
▪️नहीं तू झूठा है तुझ में जज्बात नहीं,
तू छुपाता सच को है, पर तू झूठ भी नहीं सच भी नहीं।
खोया खोया मन है मेरा, कुछ सूझता क्यों नहीं,
तेरे लिए खुद से की है गद्दारी, तू यह सोचता क्यों नहीं।
▪️मैं सच हूं ,क्योंकि मैं तेरा सच दिखाता हूं,
तू भी उतना ही जिम्मेदार है अपनी हालत का,
जितना मैं हूं।
क्योंकि तू सब जानता है मेरे बारे में ,
पर तू ही तो है जो मुझे छोड़ता नहीं।
मैं तुममें ही था, तूने ही मुझे जगाया था,
मैं तुममें ही था, तूने ही अलग दिखाया था।
▪️तूने मेरा मन मचल आया,
तूने ही मुझको अंदर से खाया,
मुझ को अलग किया सबसे, तूने ही मुझको गिराया,
गलती हुई मुझसे जो मैंने अलख दिखाया,
गलती हुई मुझसे जो मैंने तुझे जगाया।
छोडो मेरा साथ ,तुम अब सोते कयूँ नही,
करना है अब कुछ बड़ा काम पर,
तुम हो की छोड़ते ही नही।।

To be continued…………

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